Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -14-Jul-2022 जगाया बच्चे की मन की आवाज

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक- जगाई एक बच्चे की मन की आवाज

देखा हमने एक बच्चा,
फुटपाथ था उसका बसेरा।
फटे चिथड़े थे उसके कपड़े,
दो वक्त का नहीं था खाना।
देख उसके हालात,
रूह उठी कांप।
पर मन से आई एक आवाज,
होगी इसकी भी कोई ख्वाहिश।

हम उनके पास जा बैठे,
मात-पिता कहां है तुम्हारे।
कोई नहीं है हमारा,
कचरा और फुटपाथ हैं सहारा।

हमने उसे समझाया ,
कहा हमने उठ ज़रा तू!
ना बन तू लाचार,
कर तू अपने सपनों को साकार।
देख दुनिया का नजारा,
कर्म कर तू अपना।
कर्म के बिना नहीं मिलता फल मीठा।।

कर तू हालातों का सामना,
गरीबी अमीरी नहीं देखती ख्वाहिश,
ख्वाहिश तो सिर्फ देखती है जज्बा।
अपने सपनों का बन ढाल,
रास्ते में मिलेंगे कितने पाषाण,
करना तो उन्हें पार।
कर तू अब अपना पूरा ख्वाब,
मिलेगा तुझे तेरी ख्वाहिशों का संसार।।

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11 Comments

Punam verma

15-Jul-2022 10:48 AM

Very nice

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Abhinav ji

15-Jul-2022 09:36 AM

Very nice👍

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Swati chourasia

15-Jul-2022 06:02 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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